कोचिंग में पहलीबार एक पँचावी कुदीसे भरपुर रोमान्स, एक बार अवस्य पढेँ
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हैलो दोस्तो, मेरी जानपहचान इन्टरनेट पर एक लड़की से हुई, उसने मुझे अपनी पहली चुदाई की घटना बताई और कहानी लिखने को कहा है।
आप उसी के शब्दों में पढ़िये उसकी आपबीती…
मेरा नाम रुचिका है, मैं पटियाला (पंजाब) के पास नाभा में रहती हूँ।
मैं गयारहवीं क्लास की छात्रा हूँ, पढ़ाई में ठीक ठाक हूँ मगर सेक्स के मामले में बहुत तेज़ हूँ।
जब से जवानी ने मेरे बदन में बदलाव लाने शुरू किए, तब से मैं इस बात को लेकर बहुत उत्सुक रही हूँ।
मैं अक्सर घर में शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाया करती थी यह देखने के लिए कि मेरे स्तन कैसे धीरे धीरे आकार ले रहे हैं, कैसे मेरे निप्पल बन रहे हैं और कैसे मेरी चूत पर उगने वाले मुलायम रेशमी बाल गुच्छे में तब्दील होते जा रहे हैं।
और जब मुझे मासिक धर्म यानि के डेट आनी शुरू हुई तो उसके बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी ही बदल गई।
मुझे तभी से ऐसे लगने लगा कि जैसे मैं तो पूरी जवान हो गई।
और जब मौसी की लड़की ने यह बताया कि डेट आने का मतलब कि अब तू बच्चा पैदा कर सकती है तो मुझे बड़ी उत्सुकता हुई यह जानने के लिए कि अगर बच्चा औरत के पेट से निकलता है तो अंदर कब और कैसे जाता है।
खैर ये तो मेरे बचपन की बातें है।
जब मैं 10+1 में हुई तो पापा ने ट्यूशन पढ़ने के लिए घर पर ही इंतजाम कर दिया।
एक सर हर रोज़ मुझे शाम 6 से 7 बजे तक ट्यूशन पढ़ाने के लिए घर पर ही आते थे।
थोड़े दिनों बाद पड़ोस की कपूर आंटी का बेटा राहुल जो 10+1 में था पर किसी दूसरे स्कूल में था, वो भी मेरे ही सर से ट्यूशन पढ़ने हमारे ही घर आने लगा।
पहले तो हम बहुत कम बात करते थे, पर धीरे धीरे हम दोस्त बन गए और हौले हौले आपस में बहुत खुल कर बात करने लगे।
ट्यूशन के दौरान मम्मी हमें चाय देकर जाती थी और सर की आदत थी कि वो चाय से पहले एक सिगरेट पीते थे, तो जब माँ चाय देकर जाती, सर चाय लेकर बालकनी में चले जाते, वहीं पर पहले एक सिगरेट और फिर चाय पीते।
इसी दौरान हम दोनों को आपस में खुसर फुसर करने का मौका मिल जाता।
एक दिन ऐसे ही चाय के समय किसी बात पर छीना झपटी के दौरान राहुल का हाथ मेरी चूची पर ज़ोर से लगा।
राहुल ने तभी मेरे से माफी मांगी- सॉरी रुचि यार, गलती से लग गया।
मैंने उसका बुरा नहीं माना और कहा- कोई बात नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा।
‘क्या बुरा नहीं लगा, मेरा हाथ लगना?’ उसने पूछा।
‘नहीं, कुछ भी नहीं…’ मैंने भी कह दिया।
‘क्यों तुम्हें चोट नहीं लगी, मेरा हाथ तो बहुत ज़ोर से लगा था?’
‘नहीं, कोई बात नहीं!’ मैंने कहा।
हालांकि उसके हाथ के छूने से मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी।
‘हाँ, शायद नर्म चीजों पर चोट कम लगती हो?’ उसने कहा।
मैंने देखा उसकी आँखों में शरारत थी।
मैंने कहा- अच्छा, तो फिर एक दिन मैं भी बदला लूँगी, और तुम्हारी भी किसी नर्म चीज़ पे मारूँगी।
और हम दोनों हंस दिये।
इतने में सर आ गए और हमारी बातचीत बंद हो गई।
उसके बात तो अगले दो तीन दिनो में ही राहुल ने जान बूझ के मेरे वक्ष के उन्नत उभारों को छूआ, मगर मैंने कभी भी बुरा नहीं माना।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और एक दिन जब सर बाहर खड़े चाय पी रहे थे तो राहुल ने बड़े आराम और इतमीनान से सरेआम ही मेरे चूचों को पकड़ लिया।
‘राहुल?!’ मैंने बड़े हैरान हो कर कहा- हाऊ डेयर यू?
पर मैंने उसका हाथ अपने स्तनों से हटाने की कोई कोशिश नहीं की।
‘बस यार… दिल किया छू कर देखने को, तो छू लिया।’
‘और अगर सर देख लें तो या मम्मी आ जाएँ तो?’ मैंने कहा।
‘तो जब सर या तुम्हारी मम्मी न हों तो तब छू के देख लिया करूँ?’ उसने मुस्कुरा के कहा।
मेरी तो हंसी निकल गई।
बस मेरे हंसने की देर थी और उसने झट मेरे दोनों बूब्स पकड़ के दबा दिये।
मुझे भी अच्छा लगा।
उसके बाद तो यह सिलसिला ही चल निकला।
2-4 दिनों बाद राहुल ने मुझे किस करने की इच्छा जताई।
मैंने कहा- मगर करेंगे कहाँ?’
तो वो बोला- ऐसा करते हैं, सर के जाने के बाद भी आधा घंटा रिवीजन किया करेंगे, उस दौरान अगर मौका मिल गया तो किस कर लेंगे’
मुझे आइडिया पसंद आ गया।
अगले ही दिन हमने आधा घंटा और रिवीजन की, मगर मौका नहीं मिला क्योंकि सर के जाने के बाद मम्मी आ कर बैठ गई थी।
मगर उससे अगले दिन करीब सात बज कर बीस पच्चीस मिनट पर दूध वाला आ गया, और जैसे ही मम्मी दूध लेने गई, राहुल ने मुझे आँख से इशारा किया तो मैंने भी अपना चेहरा उसके पास कर दिया।
राहुल ने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिये और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों में दबाया।
यह एक बहुत ही अलौकिक एहसास था, मेरे जीवन का पहला चुम्बन था, और राहुल का भी !
तो हम दोनों के जैसे बदन में बिजलियाँ कौंध गई, हमारे रोंगटे खड़े हो गए, चेहरे से गर्मी निकलने लगी और न जाने क्या क्या हो गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
खैर अब जब बूब्स दबाना और चूमाचाटी करना रोज़ की बात हो गई तो हम यह सोचने लगे कि अब आगे कब, क्या और कैसे किया जाए।
फिर एक दिन राहुल अपने मोबाइल में एक फिल्म लेकर आया और उसे मेरे मोबाइल में डाल कर बोला- रात को देखना, बहुत बढ़िया चीज़ है।
रात को सोने से पहले मैंने अपने कमरे में बेड पे लेट कर वो वीडियो देखी।
वो एक ब्लू फिल्म थी जिसने मेरी सारी शंकाएँ दूर कर दी।
अब मुझे सब पता चल गया कि रात को मम्मी और पापा क्या करते हैं।
मैंने वो वीडियो 4-5 बार देखी और अपनी चूत को बहुत मसला, मगर जो कुछ मेरी हालत हो रही थी वो मेरे बस से बाहर थी।
मैं ये सब कुछ राहुल के साथ करना चाहती थी।
अगले दिन राहुल ने मुझसे उस वीडियो के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया कि मुझे वीडियो बहुत अच्छी लगी।
‘जो वीडियो में देखा, मेरे साथ करोगी?’ राहुल ने पूछा।
‘सच कहूँ राहुल, मैं तो हर पल वो सब करना चाहती हूँ, जब से वो वीडियो देखी है, मुझे हर पल बेचैनी सी लगी रहती है, मुझे समझ में नहीं आता मैं क्या करूँ?’ मैंने अपनी हालत बताई।
‘मेरा लण्ड देखेगी?’ राहुल ने पूछा।
‘हाँ, पर कैसे?’ मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
‘जब तेरी मम्मी दूध लेने जाएगी न, तब मैं बाथरूम में घुस जाऊँगा और अंदर जाकर निकाल लूँगा, जब मम्मी दूध वाले के पास होगी तो तुम बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर खुलवा लेना और देख लेना!’ राहुल ने प्लान बताया।
वैसे तो मैंने उसकी पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड कई बार पकड़ के देखा था, पर बिल्कुल सामने देखना और बात थी।
प्लान के मुताबिक जब मम्मी दूध का बर्तन लेने रसोई में गई तो राहुल झट से बाथरूम में घुस गया और जब मम्मी बर्तन लेकर घर से बाहर निकली तो मैंने झट से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला, और अंदर का नज़ारा देख कर तो मैं दंग ही रह गई।
राहुल बिल्कुल नंगा हो कर खड़ा अपना लण्ड हिला रहा था।
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा और कहा- आओ, और इसे छू कर देखो।
मैं आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ा।
राहुल ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह से मुँह जोड़ दिये।
हम दोनों ने आँखें बंद कर ली, राहुल का लण्ड पूरा सख्त हो चुका था।
राहुल ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैं बड़े मज़े से चूस रही थी कि तभी ड्राइंगरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई।
मतलब मम्मी दूध लेके आ चुकी थी।
आप उसी के शब्दों में पढ़िये उसकी आपबीती…
मेरा नाम रुचिका है, मैं पटियाला (पंजाब) के पास नाभा में रहती हूँ।
मैं गयारहवीं क्लास की छात्रा हूँ, पढ़ाई में ठीक ठाक हूँ मगर सेक्स के मामले में बहुत तेज़ हूँ।
जब से जवानी ने मेरे बदन में बदलाव लाने शुरू किए, तब से मैं इस बात को लेकर बहुत उत्सुक रही हूँ।
मैं अक्सर घर में शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाया करती थी यह देखने के लिए कि मेरे स्तन कैसे धीरे धीरे आकार ले रहे हैं, कैसे मेरे निप्पल बन रहे हैं और कैसे मेरी चूत पर उगने वाले मुलायम रेशमी बाल गुच्छे में तब्दील होते जा रहे हैं।
और जब मुझे मासिक धर्म यानि के डेट आनी शुरू हुई तो उसके बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी ही बदल गई।
मुझे तभी से ऐसे लगने लगा कि जैसे मैं तो पूरी जवान हो गई।
और जब मौसी की लड़की ने यह बताया कि डेट आने का मतलब कि अब तू बच्चा पैदा कर सकती है तो मुझे बड़ी उत्सुकता हुई यह जानने के लिए कि अगर बच्चा औरत के पेट से निकलता है तो अंदर कब और कैसे जाता है।
खैर ये तो मेरे बचपन की बातें है।
जब मैं 10+1 में हुई तो पापा ने ट्यूशन पढ़ने के लिए घर पर ही इंतजाम कर दिया।
एक सर हर रोज़ मुझे शाम 6 से 7 बजे तक ट्यूशन पढ़ाने के लिए घर पर ही आते थे।
थोड़े दिनों बाद पड़ोस की कपूर आंटी का बेटा राहुल जो 10+1 में था पर किसी दूसरे स्कूल में था, वो भी मेरे ही सर से ट्यूशन पढ़ने हमारे ही घर आने लगा।
पहले तो हम बहुत कम बात करते थे, पर धीरे धीरे हम दोस्त बन गए और हौले हौले आपस में बहुत खुल कर बात करने लगे।
ट्यूशन के दौरान मम्मी हमें चाय देकर जाती थी और सर की आदत थी कि वो चाय से पहले एक सिगरेट पीते थे, तो जब माँ चाय देकर जाती, सर चाय लेकर बालकनी में चले जाते, वहीं पर पहले एक सिगरेट और फिर चाय पीते।
इसी दौरान हम दोनों को आपस में खुसर फुसर करने का मौका मिल जाता।
एक दिन ऐसे ही चाय के समय किसी बात पर छीना झपटी के दौरान राहुल का हाथ मेरी चूची पर ज़ोर से लगा।
राहुल ने तभी मेरे से माफी मांगी- सॉरी रुचि यार, गलती से लग गया।
मैंने उसका बुरा नहीं माना और कहा- कोई बात नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा।
‘क्या बुरा नहीं लगा, मेरा हाथ लगना?’ उसने पूछा।
‘नहीं, कुछ भी नहीं…’ मैंने भी कह दिया।
‘क्यों तुम्हें चोट नहीं लगी, मेरा हाथ तो बहुत ज़ोर से लगा था?’
‘नहीं, कोई बात नहीं!’ मैंने कहा।
हालांकि उसके हाथ के छूने से मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी।
‘हाँ, शायद नर्म चीजों पर चोट कम लगती हो?’ उसने कहा।
मैंने देखा उसकी आँखों में शरारत थी।
मैंने कहा- अच्छा, तो फिर एक दिन मैं भी बदला लूँगी, और तुम्हारी भी किसी नर्म चीज़ पे मारूँगी।
और हम दोनों हंस दिये।
इतने में सर आ गए और हमारी बातचीत बंद हो गई।
उसके बात तो अगले दो तीन दिनो में ही राहुल ने जान बूझ के मेरे वक्ष के उन्नत उभारों को छूआ, मगर मैंने कभी भी बुरा नहीं माना।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और एक दिन जब सर बाहर खड़े चाय पी रहे थे तो राहुल ने बड़े आराम और इतमीनान से सरेआम ही मेरे चूचों को पकड़ लिया।
‘राहुल?!’ मैंने बड़े हैरान हो कर कहा- हाऊ डेयर यू?
पर मैंने उसका हाथ अपने स्तनों से हटाने की कोई कोशिश नहीं की।
‘बस यार… दिल किया छू कर देखने को, तो छू लिया।’
‘और अगर सर देख लें तो या मम्मी आ जाएँ तो?’ मैंने कहा।
‘तो जब सर या तुम्हारी मम्मी न हों तो तब छू के देख लिया करूँ?’ उसने मुस्कुरा के कहा।
मेरी तो हंसी निकल गई।
बस मेरे हंसने की देर थी और उसने झट मेरे दोनों बूब्स पकड़ के दबा दिये।
मुझे भी अच्छा लगा।
उसके बाद तो यह सिलसिला ही चल निकला।
2-4 दिनों बाद राहुल ने मुझे किस करने की इच्छा जताई।
मैंने कहा- मगर करेंगे कहाँ?’
तो वो बोला- ऐसा करते हैं, सर के जाने के बाद भी आधा घंटा रिवीजन किया करेंगे, उस दौरान अगर मौका मिल गया तो किस कर लेंगे’
मुझे आइडिया पसंद आ गया।
अगले ही दिन हमने आधा घंटा और रिवीजन की, मगर मौका नहीं मिला क्योंकि सर के जाने के बाद मम्मी आ कर बैठ गई थी।
मगर उससे अगले दिन करीब सात बज कर बीस पच्चीस मिनट पर दूध वाला आ गया, और जैसे ही मम्मी दूध लेने गई, राहुल ने मुझे आँख से इशारा किया तो मैंने भी अपना चेहरा उसके पास कर दिया।
राहुल ने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिये और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों में दबाया।
यह एक बहुत ही अलौकिक एहसास था, मेरे जीवन का पहला चुम्बन था, और राहुल का भी !
तो हम दोनों के जैसे बदन में बिजलियाँ कौंध गई, हमारे रोंगटे खड़े हो गए, चेहरे से गर्मी निकलने लगी और न जाने क्या क्या हो गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
खैर अब जब बूब्स दबाना और चूमाचाटी करना रोज़ की बात हो गई तो हम यह सोचने लगे कि अब आगे कब, क्या और कैसे किया जाए।
फिर एक दिन राहुल अपने मोबाइल में एक फिल्म लेकर आया और उसे मेरे मोबाइल में डाल कर बोला- रात को देखना, बहुत बढ़िया चीज़ है।
रात को सोने से पहले मैंने अपने कमरे में बेड पे लेट कर वो वीडियो देखी।
वो एक ब्लू फिल्म थी जिसने मेरी सारी शंकाएँ दूर कर दी।
अब मुझे सब पता चल गया कि रात को मम्मी और पापा क्या करते हैं।
मैंने वो वीडियो 4-5 बार देखी और अपनी चूत को बहुत मसला, मगर जो कुछ मेरी हालत हो रही थी वो मेरे बस से बाहर थी।
मैं ये सब कुछ राहुल के साथ करना चाहती थी।
अगले दिन राहुल ने मुझसे उस वीडियो के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया कि मुझे वीडियो बहुत अच्छी लगी।
‘जो वीडियो में देखा, मेरे साथ करोगी?’ राहुल ने पूछा।
‘सच कहूँ राहुल, मैं तो हर पल वो सब करना चाहती हूँ, जब से वो वीडियो देखी है, मुझे हर पल बेचैनी सी लगी रहती है, मुझे समझ में नहीं आता मैं क्या करूँ?’ मैंने अपनी हालत बताई।
‘मेरा लण्ड देखेगी?’ राहुल ने पूछा।
‘हाँ, पर कैसे?’ मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
‘जब तेरी मम्मी दूध लेने जाएगी न, तब मैं बाथरूम में घुस जाऊँगा और अंदर जाकर निकाल लूँगा, जब मम्मी दूध वाले के पास होगी तो तुम बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर खुलवा लेना और देख लेना!’ राहुल ने प्लान बताया।
वैसे तो मैंने उसकी पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड कई बार पकड़ के देखा था, पर बिल्कुल सामने देखना और बात थी।
प्लान के मुताबिक जब मम्मी दूध का बर्तन लेने रसोई में गई तो राहुल झट से बाथरूम में घुस गया और जब मम्मी बर्तन लेकर घर से बाहर निकली तो मैंने झट से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला, और अंदर का नज़ारा देख कर तो मैं दंग ही रह गई।
राहुल बिल्कुल नंगा हो कर खड़ा अपना लण्ड हिला रहा था।
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा और कहा- आओ, और इसे छू कर देखो।
मैं आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ा।
राहुल ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह से मुँह जोड़ दिये।
हम दोनों ने आँखें बंद कर ली, राहुल का लण्ड पूरा सख्त हो चुका था।
राहुल ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैं बड़े मज़े से चूस रही थी कि तभी ड्राइंगरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई।
मतलब मम्मी दूध लेके आ चुकी थी।
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